Poem on Nafaraton Ke Shahar in Hindi | नफ़रतों के शहर में

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Poem on Nafaraton Ke Shahar

Poem on Nafaraton Ke Shahar in Hindi:- यह हिंदी कविता है जो नफरत और प्यार के बीच के संघर्ष और भावनात्मकता को दर्शाती है। इस कविता में कवि ने नफरतों से भरे शहर में प्यार की तलाश की मुस्किलो और उसके साथ जुड़े संघर्षों को दिल के अहसासों और गहराई के साथ प्रस्तुत किया है। यह कविता दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी भावनाओं की सच्चाई को समझने और हांसिल करने के लिए किन-किन कठिन प्रस्तिथियो से गुजरता है।

“नफरतों के शहर” एक दिल को छूने जाने वाली हिंदी कविता है जो हर इंसान की भावनाओं को छूने की कोशिश करती है। इस काव्य में नफरत और मोहब्बत के बीच की बारीकियों को इस कविता में बहुत मार्मिकता से व्यक्त किया है। यह कविता न केवल प्यार की तलाश की कठिनाई को दिखाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि नफरतों और घृणा के बीच भी प्रेम की एक असली और गहरी भावना को महसूस किया जा सकता है।

कविता में लेखक ने अपने प्यार की तलाश में शहर-शहर घूमने के बारे में बताता है। यह व्यक्ति नफरतों से भरे शहर में अपने प्रेम की तलाश करता है, लेकिन उसे कई मुश्किलों और संघर्षों का सामना करना पड़ता है। कविता में व्यक्त भावनाएं यह दिखाती हैं कि कैसे एक व्यक्ति नफरत और तिरस्कार के बीच भी प्यार की खोज करता है।

तो आइये दोस्तों अब हम इस बेहतरीन कविता को पढ़ते हैं.……….

“किसी की शिसकिया बनने से अच्छा था
किसी की हिचकियाँ बन जाते तुम
थोड़ी सी प्यास के चक्कर में
पुरा समंदर देख आया मैं”

Poem on Nafaraton Ke Shahar
Poem on Nafaraton Ke Shahar in Hindi

नफ़रतों के शहर में – Poem on Hindi Nafaraton Ke Shahar 

नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं
बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर
घुम आया मैं..

छुपने-छुपाने का हुनर तुमसे बेहतर कौन जाने
तुम्हारे इक तलक दिदार के लिए
सारी दुलहनों को घुंघट उठाकर
देख आया मैं..

किसी की शिसकिया बनने से अच्छा था
किसी की हिचकियाँ बन जाते तुम
थोड़ी सी प्यास के चक्कर में
पुरा समंदर देख आया मैं..

बरसात का मौसम शुरू होने वाला था
लेकिन इससे पहले ही आँखों के अश्कों से
मेरा गाँव डुबो आया मैं..

मुझे तो बदला-बदला सा लगता है तु
इसिलिए बगैर दरवाजा खटखटाये
बिना आवाज दिये ही
तुम्हारी चौखट से लौट आया मैं…

नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं
बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर
घुम आया मैं.!!

-कुलदीप सभ्रवाल

 

Note:-

नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया-Poem on Nafaraton Ke Shahar in Hindi | कविता की गहराई और भावनात्मकता इसे अलग बनाती है क्योंकि यह सिर्फ प्रेम की कहानी नहीं है यह प्रेम की सच्चाई को जानने और समझने के लिए एक व्यक्ति को कितना कुछ सहन करना पड़ता है उस के बारे में बता रही है । कवि का यह संदेश स्पष्ट है कि प्यार की खोज एक कठिन लेकिन सुंदर सफ़र होता है।

इसी तरह और भी बेह्तरीन-बेह्तरीन हिंदी,हरियाणवी,तथा अन्य भाषओं में प्रेरक,सामाजिक,प्रेम,एकतरफा प्यार और ब्रेकअप,जीवन शैली आदि पर लिखी गई ,काव्य,कविता (नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया | Poem on Nafaraton Ke Shahar in Hindi) और आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी साईट sapnokidiary.com पर आपका स्वागत है अगर आपको पढ़ने के बाद कोई पोस्ट अच्छी लगे तो प्लीज पोस्ट को शेयर और कमेंट करके हमे जरुर बताए,हमारी साईट पर आने के लिए आपका बहुत -बहुत धन्यवाद्!

Poem on Nafaraton Ke Shahar
नफरतों के शहर/sapnokidiary.com/

Nafaraton Ke Shahar Short Hindi Poems

Nafaraton Ke Shahar Mein Pyar Bech Aaya Main
Bas ek Tera Ghar Na Mila Saara Shahar Ghum Aaya Main..

Chhupne-Chhupane Ka Hunar Tumase Behatar Kon Jane
Tumhare Ek Talak Didar Ke Liye
Saree Dulhno Ko Ghunght Uthakar Dekh Aaya Main..

Kisi Ki Shiskiya Banne Se Achha Tha
Kisi K Hichkiyan Ban Jate Tum
Thode Si Pyas Ke Chakkar Mein Pura Samandar Dekh Aaya Main..

Barsat Ka Mausam Shuru Hone Wala Tha
Lekin Isse Pahle Hi Ankhon Ke Ashkon Se Pura Gaao Dubo Aaya Main..

Mujhe To Badla-Badla Sa Lagta Hai Tu
Isiliye Bagair Daravaja Khtakhtaye
Bina Aavaj Diye Hi Tumhari Chaukhat Se Laut Aaya Main..

Nafaraton Ke Shahar Mein Pyar Bech Aaya Main,
Bas Ik Tera Ghar Na Mila Saara Shahar Ghum Aaya Main.!

Write By:Kuldeep Samberwal

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“Badla-Badla Sa Lagta Hai Tu
Isiliye Bagair Daravaja Khtakhtaye
Bina Aavaj Diye Hi Tumhari Chaukhat Se Laut Aaya Main”

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