मजदूर पर लिखी गई हिंदी कविता-Best Poem on Majadoor Life in Hindi:- यह बेहतरीन हिंदी कविता उस व्यक्ति की कहानी है, जिसकी मेहनत से दुनिया के घर-महल बन जाते है, मगर उसकी अपनी जिंदगी में सिर्फ दर्द और तकलीफ ही हरदम जिन्दगी में ज्यो की त्यों बनी रहती है। यह व्यक्ति कोई और नही बल्कि हम सबके बीच में रहने वाला मजदूर है, जो अपनी पूरी ज़िंदगी दूसरों के सपने पूरे करने में लगा देता है, लेकिन खुद के लिए कभी चैन की सांस नहीं ले पाता। उसकी मेहनत और उसकी ज़िंदगी का संघर्ष हमें यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या उसकी मेहनत का कोई मोल है भी या नही?
जब वो कम करता है तो उसके शरीर पर अनगिनत और कभी न दिखने वाले जख्म होते हैं, मगर उन जख्मों को भरने वाला कोई डॉक्टर के पास दवाखाना किसी गावं या सहर में नही मिलता। हर दिन वह दर-दर भटकता है कहीं रोटी की तलाश में, तो कहीं सुकून के दो पल पाने की उम्मीद में मगर कहीं बैठ कर दो पल आराम देने वाला कोई किसी का घर,आशियाना उसे कहीं पर भी नहीं मिलता है।
हर जगह उसे उसके फटे पुराने कपड़ो के कारण चोर और मकार समझ कर इन्ही नामों से पुकारा जाता है मगर उसका जो असली नाम होता है उस नाम से सायद ही कोई बुलाता होगा। दिन-रात मेहनत करने के बावजूद उसकी मेहनत का पूरा मेहनताना उसे सायद ही मिलता हो हजारों कमियां उसके काम में निकाल कर उसकी मेहनत के पैसों को कम करके ही दिया जाता है। उसके सपने तो बड़े होते है मगर खुद की झोपड़ी में ही उसकी जिंदगी कट जाती है, जबकि दूसरों के महल को बनाने में वो अपनी जी जान लगा देता है।
आइये दोस्तों अब हम इस बेहतरीन कविता(Best Poem on Majadoor Life) को पढ़ते हैं.……
“दिन-रात करता है मेहनत दो वक्त कि रोटी की खातिर
मगर इतना सब करने के बाद भी उसे मेहनताना यहां नहीं मिलता”
मजदूर पर लिखी गई हिंदी कविता-Best Poem on Majadoor Life
जख़्म बहुत है उसके शरीर पर
मगर भर सके इन जख्मों को ऐसा कोई दवाखाना यहां नहीं मिलता..
दर-दर भटकता रहता है वो
पर दो पल ठहर के कर सके कहीं आराम ऐसा कोई
आशियाना यहां नहीं मिलता..
वो जब-जब जहां गया बस चोर मकार जैसे नामों से पुकारा गया
कहीं पर भी उसे उसके असली नाम से बुलाने वाला नहीं मिलता..
दिन-रात करता है मेहनत दो वक्त कि रोटी की खातिर
मगर इतना सब करने के बाद भी उसे मेहनताना यहां नहीं मिलता..
सपने बडे-बडे पाले थे उसने
मगर खुद के घर को झोपड़ी जैसा है रखता
और दूसरो के करवा देता है वो महल खडे़..
ए-दीप वो “मजदूर” ही तो है जिसे उम्र भर कोई खज़ाना
नहीं मिलता..
सिर्फ दुख तकलीफों मे ही बीत जाती है जिंदगी उसकी
जो बन सके हमदर्द उसका ऐसा कोई
परवाना नहीं मिलता.!!
~कुलदीप सभ्रवाल
नोट :-
मजदूर का सारा जीवन संघर्षों और कठनाइयों से भरा होता है जहाँ उसे साडी जिन्दगी सिर्फ मेहनत ही करनी होती है उसे कोई न कोई खज़ाना कहीं से नही मिलता है और न ही कोई दो पल आराम करने के लिए सुकून मिल पता है । वह पूरी जिंदगी दुख और तकलीफों के बीच ही बिता देता है, मगर उसका हमदर्द बनने वाला कोई नहीं होता। यही उसकी कड़वी सच्चाई है – एक मजदूर के हिस्से में केवल त्याग और मेहनत आती है, जबकि उसका महत्व समाज कभी सही तरह से नहीं समझता।
हिंदी कविता और मज़दूर समाज की कड़वी सच्चाई–दिल को झकझोर देने वाली हकीकत (मजदूर पर लिखी गई हिंदी कविता-Best Poem on Majadoor Life in Hindi) से जुड़ा लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Sapnokdiary.com पर आपका स्वागत है। अगर आपको हमारी कोई भी पोस्ट पसंद आए या अच्छी लगे , तो प्लीज़ प्यारे दोस्तों हमारी उस रचना को जरुर अपने दोस्तों में शेयर करने का और उसे आप लाइक करें,कमेंट करके हमे जरुर बताये। हमारी साइट पर विजिट करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Best Poem on Majadoor in Hinglish
Jakhm Bahut Hai Uske Sharir Par
Magar Bhar Sake In Jakhmon Ko
Aisa Koyi Davakhana Yahan Nhi Milta..
Dar-Dar Bhtakta Rahta Hai Vo Par
Do Pal Thahar Ke Kar Sake Kahin Aaram
Aisa Koyi Aashiyana Yahan Nhi Milta..
Vo Jab-Jab Jahan Gya
Bas Chor Makar Jaise Namon Se Pukara Gya
Kahin Par Bhi Use Uske Asali Naam Se Bulane Vaala
Nhi Milta..
Din-Raat Karta Hai Mehnat
Do Vakt Ki Roti Ki Khatir
Magar Itna Sab Karne Ke Bad Bhi
Use Mehnatana Yahan Nhi Milta..
Sapne Bade-Bade Pale The Usne
Magar Khud Ke Ghar Ko Jhopadi Jaisa Hai Rakhta
Aur Dusaro Ke Karva Deta Hai Vo Mahal Khade..
E-Deep Vo “Majadoor” Hi To Hai
Jise Umr Bhar Koyi Khazana Nhi Milta..
Sirph Dukh Taklefon Me Hi Beet Jati Hai Jindagi
Usaki Jo Ban Sake Hamdard Usako Aisa Koyi
Paravana Nhi Milta.
Jakhm Bahut Hai Uske Sharir Par
Magar Bhar Sake In Jakhmon Ko
Aisa Koyi Davakhana Yahan Nhi Milta..
Write by:-Kuldeep Samberwal
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“Vo Jab-Jab Jahan Gya
Bas Chor Makar Jaise Namon Se Pukara Gya”
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