Khuda Aur Mohabbat in Hindi Poem | ए-खुदा इतनी सी इनायत कर

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Khuda Aur Mohabbat

Khuda Aur Mohabbat in Hindi Poem | ए-खुदा मुझ पर बस इतनी सी इनायत कर:- यह कविता एक इंसान के दिल से निकली उस प्रार्थना की तरह है जिसमें वह भगवान से विनती करता है कि उसे सही मार्ग पर चलने की ताकत मिलती रहे। इसमें ये बताया गया है की खुदा की रहमतों पर निर्भर तो रहे लेकिन अंधविश्वास और डर भय से परे रह करके रहे। यह कविता उन अन्दर से आने वाली आत्मा की आवाज और आदर्शों की आवाज़ से है जिसमें इंसान खुद के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ बेहतर करने के बारे में सोचता रहता है।

इस कविता के जरिये से ये बताया जा रहा है की इन्सान खुदा को मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर या गुरुद्वारे में नहीं बल्कि अत्याचारों को रोकते हुए देखना चाहता है। अगर भगवान के होने का कोई अस्तित्व है तो अपने होने की मौजूदगी सबको दिखाये वरना भगवान खुद के नाम का ये ढोंग इस जमीन से खुद-ब-खुद कैसे भी करके मिटा दे ताकि लोग किसी के बहकावे में यु हर दिन न आये और एक दुसरे के देवी-देवताओं को यु छोटा बड़ा कहकर समाज में गलत बाते न फलाये।

“तेरा डर नहीं तेरा रहमोकरम देखना चाहता हूँ
इन मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर,गुरूद्वारों में नहीं
मैं तो तुम्हें सबके सामने जुल्मों को रोकते हुए देखना चाहता हूँ”

आइये दोस्तों अब पढ़ते हैं इस ह्रदय को छू लेने वाली सुन्दर सी हिन्दी काव्य कविता को…

Khuda Aur Mohabbat
Hindi Best Poetry-Khuda Aur Mohabbat

ए-खुदा इतनी सी इनायत कर-Khuda Aur Mohabbat

ए-खुदा मुझ पर बस इतनी सी इनायत कर
कि तेरी रहमतों पर निर्भर तो रहूं पर डरकर न रहूँ

मैं क्या सब जानते है तु हर जगह रहता है
मगर फिर भी न जाने क्यूँ गलत करने वाला तेरी नज़रों से बचकर रहता है
बस मुझे अब इसी भ्रम से पार तु कर..
ए-खुदा मुझ पर बस इतनी सी इनायत कर

हर मुसिबत से सिना तान लड़ जाऊं
तेरा नाम लेकर अपनी मुश्किलों से कभी न गभराऊं
जो करूँ अच्छा करूँ खुद के लिए कम अपने देश के लिए ज्यादा करूँ..
ए-खुदा मुझ पर बस इतनी सी इनायत कर

तेरा डर नहीं तेरा रहमोकरम देखना चाहता हूँ
इन मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर,गुरूद्वारों में नहीं
मैं तो तुम्हें सबके सामने जुल्मों को रोकते हुए देखना चाहता हूँ..
ए-खुदा मुझ पर बस इतनी सी इनायत कर

ए-खुदा अगर है तेरा अस्तित्व तो अपनी मौजूदगी दिखा
वरना अपने नाम का ये आडंबर इस जमीं से
खुद-ब-खुद दे तु मिटा
मैं अब इन साजिशों से आजाद होना चाहता हूँ
अपने लिए नहीं अपने देश के लिए थोड़ा बहोत करना चाहता हूँ..
ए-खुदा मुझ पर बस इतनी सी इनायत कर
कि तेरी रहमतों पर निर्भर तो रहूं पर डरकर न रहूँ.!

~कुलदीप सभ्रवाल

“मैं क्या सब जानते है तु हर जगह रहता है
मगर फिर भी न जाने क्यूँ गलत करने वाला तेरी नज़रों से बचकर रहता है”

यह प्रार्थना सिर्फ खुदा के लिए नहीं बल्कि देश और समाज के प्रति कुछ अच्छा करने की चाहत के बारे में सबको जागरूक करने का काम कर रही है। खुदा से यही विनती है कि उसकी रहमतें हमेशा सब पर बनी रहें लेकिन इंसान को किसी डर या भ्रम में न जीना पड़े। सही रास्ता दिखाते हुए खुदा हमें सच्चाई और न्याय की तरफ ले जाए और सबके अन्दर प्यार-प्रेम की भावना बनने लगे ताकि इंसानियत इस दुनिया में फिर से जन्म ले सके और एक दुसरे के प्रति आदर-सत्कार फिर से पैदा होने लग जाये।

Note:-

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Khuda Aur Mohabbat
Khuda Aur Mohabbat Hindi Kavita

Khuda Aur Mohabbat in Hinglish Poem

E-Khuda Mujh Par Bas Itani Si Inayat Kar
Ki Teri Rahmaton Par Nirbhar To Rahu
Par Darkar Na Rahu

Main Kya Sab Jante Hai Tu Har Jagah Rahta Hai
Magar Phir Bhi N Jane Kyoon Galat Karne Vala
Teri Nazaro Se Bachkar Rahta Hai
Bas Mujhe Ab Isi Bhram Se Par Tu Kar..
E-Khuda Mujh Par Bas Itani Si Inayat Kar

Har Musibat Se Sina Tan Lad Jau Mai
Tera Naam Lekar Apani Mushkilo Se Kabhi N Gabhrau Mai
Jo Karu Achha Karu Khud Ke Liye Kam
Apane Desh Ke Liye Jyada Karu..
E-Khuda Mujh Par Bas Itani Si Inayat Kar

Tera Dar Nhi Tera Rahmokaram Dekhna Chahta Hoon
In Mandir,Masjid,Girajaghar,Gurudvaro Mein Nhi
Main To Tumhe Sabke Samane Julmon Ko Rokate Huye
Dekhna Chahata Hoon..
E-Khuda Mujh Par Bas Itani Si Inayat Kar

E-Mere Khuda Agar Hai Tera Astitav To Apani Maujudagi Dikha
Varna Apane Naam Ka Ye Aadambar Is Jameen Se
Khud-B-Khud De Tu Mita
Main Ab In Sajishon Se Aajad Hona Chahta Hoon
Apane Liye Nhi Apane Desh Ke Liye Thoda Bahot Karna Chahta Hoon..

E-Khuda Mujh Par Bas Itani Si Inayat Kar
Ki Teri Rahmaton Par Nirbhar To Rahu Par Darkar Na Rahu.!

Write By~Kuladeep Samberwal

“Main Kya Sab Jante Hai Tu Har Jagah Rahta Hai
Magar Phir Bhi N Jane Kyoon Galat Karne Vala
Teri Nazaro Se Bachkar Rahta Hai
Bas Mujhe Ab Isi Bhram Se Par Tu Kar”

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