Poem on “Koi Rasta Mile” in Hindi | हिन्दी कविता “कोई रास्ता मिले“जब हम जिंदगी में कभी अकेले पड़ जाते हैं तो किसी से चंद लम्हों का सहारा मिलने कि आश रखते हैं ताकि इस बुरे वक्त से खुद को निकाला जा सके। ठीक ऐसी परिस्थिति को महसूस करते हुए ये हिन्दी कविता लिखी गई है, क्योंकि बहुत बार जिन्दगी में सिर्फ उस एक इंसान की जरूरत होती है जिस इंसान की जगह दुसरा कोई नहीं ले सकता। हम अक्सर जब कभी अपने दोस्तों से मिलते हैं तो उनके साथ बिताए हर लम्हों कि तारीफ करने लग जाते हैं और शायद कभी-कभी तो उनकी कुछ बुरी आदतों को भी भूलकर सिर्फ अच्छाइयां ही बतलाते रहते हैं।
प्यार में जुदाई मिलने पर भी यही बात लागू होती है। जुदाई का मतलब सिर्फ दर्द और दुख नहीं होता, बल्कि उसमें छुपे गहरे भावनाओं और यादों को समझना भी होता है। जब आप किसी को उसकी परस्तिथि की नजर से देखते हैं, तभी आप उसकी जुदाई का असली दुःख दर्द समझ सकते हैं।
इन्हीं सभी बातों को एक कविता के माध्यम से हमने कुछ बताने की छोटी सी कोशिश की है तो आइए देखते हैं….
इक तु जो साथ दे तो कोई रास्ता मिले
हर किसी से वास्ता रखना नहीं मुझे
इक तु जो साथ दे तो कोई रास्ता मिले..
शिनाख्त करते रहते है ये जो चाँद सितारे
कभी इनसे रूबरू हो तो ये भी अपनों से जा मिले..
खैरियत पुछने आया है कहीं दूर देश का वाशी
इक दफ़ा मुलाक़ात ही हो जाये तो थोड़ा चैन उनको भी मिले..
चलना फिरना तुम्हारा लाजमी क्या खुब लगता है
ज़रा ठहर जाओ तो सुकून भवरों को भी मिले..
चमक मुखडे पर दिनकर के चमक के जैसी है
गली हमारी कभी आओ तो रोशनी हमें भी मिले..
मूक बना डाला है तुने ऊंचे अम्बर को
बारिश कर भी देता है पर थंडर कि आवाज न मिले..
तारीफ करने लगा है बहता दरिया तुम्हारी
छु दो उनको कभी तो उन्हें भी रास्ता मिले..
हर किसी से वास्ता रखना नहीं मुझे
इक तु जो साथ दे तो कोई खास सा मिले..
शरारत सूझने लगी है देख जुल्फों को तुम्हारे
उंगलियों से अपने सुलझा अगर मैं दूं तो मंजिल मुझे भी मिले..
हर किसी से वास्ता रखना नहीं मुझे
इक तु जो साथ दे तो कोई रास्ता मिले.!!
~कुलदीप सभ्रवाल
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Poem On Koi Rasta Mile
Har kisi se vasta rakhna nhi muje
Ek tum jo sath do to koi rasta mile..
Sinakht karte rhte ye jo chand sitare
Kabhi inse rubru ho to ye bhi apno se ja mile…
Khariayt puchne aaya hai khi door desh ka vaasi
Ek dapha mulakat hi ho jaye to thoda chain unko bhi mile..
Chlna firna tumhara lajmi kya khub lagta hai
Jra thahr jao to sakun bhawron ko bhi mile…
Chamak mukhade par dinkar ke chamak ke jaisi hai
Gali humari kbhi aao to roshni hume bhi mile..
Muk bna dala hai tumne unche Ambur ko
Barish kar bhi deta hai par thander ki aavaj n mile..
Tarif karne lga hai behta dariya tumhari
Chhu do unko kabhi to unhe bhi rasta mile..
Har kisi se vasta rakhna nh muje
Ek tum jo sath do to koi khas sha mile..
Shararat sujhne lagi hai dekh julfon ko tumhare
Ungliyon se apne suljha agar mai du to manjil mujhe bhi mile..
Har kisi se vasta rakhna nh muje
Ek tum jo sath do to koi rasta mile.!!
~Kuldeep Samberwal
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