Best Hindi Poem Raaston Ka Musaafir | प्रेमिका से ब्रेकअप होने पर कविता

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Best Hindi Poem Raaston Ka Musaafir | तेरे रास्तों का मुसाफ़िर कभी होता था मैं:- तुम्हारे रास्तों का मुसाफिर कभी हुआ करता था मैं, जहाँ हर मोड़ पर तुम्हे देखने के लिए खड़ा रहता था। लेकिन अब, जब तुम मंजिलों की ओर बढ़ रहे हो,तब तुम्हे क्यूँ लगने है में तुम्हे एक कांटे की तरह चुबने लगा हूँ।

शायद वो दिन अब लौट कर नहीं आने वाले है जब तुम्हे भी मेरा यु रास्तो में खड़ा हो कर इंतजार लगता था और अब तुम्हारे बिना रह जाने की जो तकलीफ़ है वो ही दिल में रह गई है।

जब एक प्रेम करने वाला अपनी प्रेमिका से बिछड़ जाता है या फिर वो प्रेमिका जो उसे छोड़कर जा रही होती है तब वो उसे किसी भी तरह से रोकने की कोसिसि करेगा और उसे हमेशा की तरह जो साथ रहते हुए कसमे,वादे खाये होते है उनका हवाला दे कर रोकने की कोसिस करता है मगर जब जाने वाले ने जाना होता है वो ऐसी किसी भी बात को नहीं मानता क्योकि जाने वाला तो पहले ही जाने का इरादा बना चूका होता है।

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Tere Rasto Ka Musaafir in Hindi Poem

प्यार के रास्तों में बदलते एहसास | Raaston Ka Musaafir Hota Tha

तेरे रास्तों का मुसाफ़िर कभी होता था मैं
फिर क्यूँ मंजिलों में सूल सा तुम्हें चुबने लगा हूँ..

था कभी तेरी आँखों का मोती मैं
जो तुम्हें चेहरे कि धुल सा अब लगने लगा हूँ..

तेरे हर सवालों का जवाब होता था कभी मैं
जो अब फट्टी किताब सा तुम्हें दिखने लगा हूँ..

तेरे आसमां का परिंदा हो गया था मैं
फिर क्यूँ अब कटे पतंग सा तुम्हें लगने लगा हूँ..

कभी अंधेरें का दीप हुआ करता था मैं
जो अब डरावना सा आदमी तुम्हें दिखने लगा हूँ..

तेरे रास्तों का मुसाफ़िर कभी होता था मैं
फिर क्यूँ मंजिलों में सूल सा तुम्हें चुबने लगा हूँ..

तेरे हर सवालों का जवाब होता था कभी मैं
जो अब फट्टी किताब सा तुम्हें दिखने लगा हूँ.!!

~कुलदीप सभ्रवाल

“tere har sawalo ka jawab hota tha kabhi mai jo ab fatti kitaab sa tumhen dikhane laga hoon”

Raaston Ka Musaafir Hota Tha Mai-कविता के अंत मे बस यही कहना चाहेंगे दोस्तों की अब किसी के प्यार में रास्तो में कही खड़ा होकर इंतजार करने वाले वो दिन नहीं रहे और न ही वो सच्चे प्यार करने वाले इस दुनिया में कहीं मिलते हैं। जिस मोहब्बत को कभी इबादत माना जाता था और भगवान की तरह पूजा जाता था, आज वो सिर्फ फ़रेब और झूठ का बोहोत बड़ा साधन बनती जा रही है।

सच्चे आशिक़ जो कभी एक-दूसरे की आत्मा हुआ करते थे एक-दूसरे के दुःख दर्द को समझते थे,अब सिर्फ़ ज़रूरतों और फायदों को देखते हुए ही प्यार करने लगे हैं फ़ायदा उठाने के बाद आपको वो किसी अजनबी या फिर आपके ही किसी यार ,दोस्तों के साथ रिलेशन में मिल जायेंगे। प्यार अब इश्क़ से ज्यादा एक समझौता बनकर रह गया है, और दिलो के साथ हर दिन खिलवाड़ होती रहती है।

नोट:- 

तो बताइये दोस्तों आप सभी को हमारी हिंदी कविता /Best Hindi Poem Raaston Ka Musaafir | प्यार में “तेरे रास्तों का मुसाफ़िर कभी होता था मैं फिर क्यूँ मंजिलों में सूल सा तुम्हें चुबने लगा हूँ” हिंदी कविता कैसी लगी :- अगर हमारे द्वारा कोई भी शब्द गलत लिखा गया है या फिर आपको हमारी इस कविता में कोई भी लाइन अच्छी या बेहद अच्छी लगी है तो उसके बारे में आप हमे कमेंट करके बता सकते है |इसी तरह या फिर और नई-नई कविता,आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहे |और आप इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर करते रहे…

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“tere raaston ka musaafir kabhi hota tha main phir kyoon manjilon mein sool sa tumhen chubane laga hoon”

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