Guzra Hai Vo Very Sad and Emotional Poetry in Hindi | न जाने किस दर्द से गुज़रा है वो:- मेरे प्यारे साथियों कभी-कभी इंसान के जीवन में ऐसा वक्त आता हैं जब इन्सान को दर्द और तकलीफें उसे अंदर तक झकझोर देती हैं। यह कविता उसी न सहन होने वाले दर्द की दास्तान को बयाँ कर रही है जिसमें इंसान बाहरी तोर पर तो हंसता-खेलता नजर आता है मगर भीतर से वह बिल्कुल टूट चुका होता है। यह भावनाओ से होने वाला दुःख,दर्द और संघर्ष की कहानी है जो हर किसी के लिए समझ पाना शायद आसान नहीं होता।
यह कविता एक इंसान के अपने अंदर के दर्द की कहानी बयां कर रही है जो ज़माने से छिपी रहती है मगर खुद से कभी नही छिप सकती है और न ही वो कभी इन हसीन यादो को खुद से अलग कर सकता है।
आइये प्यारे दोस्तों अब इस हिंदी की बेहतरीन कविता “न जाने किस दर्द से गुज़रा है वो” को पढ़ते है
“न जाने किस दर्द से गुज़रा है वो
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो”
न जाने किस दर्द से गुज़रा है | Emotional Love Poetry Guzra Hai Vo
न जाने किस दर्द से गुज़रा है वो
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
जमाने भर कि परेशानियों को समेटे बैठा था वो
फिर भी किसी को तकलीफ़ दिये बगैर
अपने ही अंदर के कभी न थमने वाले शौर से गुज़रा है वो..
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
क्या-क्या बातें चित्त मासुम में चलती रही होगी
बहार से हँसना,भीतर से तो पल-पल मर रही होगी
भला कौन समझे कितने कठिन दौर से गुज़रा है वो..
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
तडफ़-तडफ़ कर रूह उसकी रोई तो होगी
आँखें बंद थी,मगर दो पल भी चैन से ना सोई होगी
शायद ऐसे ही हलचल भरे माहौल से गुज़रा है वो..
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
तुफ़ान तो मन मे उमडा होगा
खुदा से ज्यादा खुद को बार-बार कोसा तो होगा
दुखों के समंदर घनघोर से गुज़रा है वो..
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
किस्मत में काँटे ही काँटे बिछाये गए थे उसके
खुशियों के बादल फिज़ा से कहकर हटाए गए थे उसके
फिर भी प्यारी सी मुस्कान लेकर
बडे ही टौर से गुज़रा है वो..
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
हर किसी ने गलती उसकी बतलाई होगी
कुछ वक्त परछाई भी अपनी लगी पराई तो होगी
देखो कैसे-कैसे अंधेरों के बनभौर से गुज़रा है वो..
कोई और होता तो शायद मर ही जाता
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
बरसों से दिल में उम्मीद का दीप जलाये बैठा था वो
इक अजनबी कि बातों में आकर के
खुद को कटवाएं बैठा था वो
अब ऐसे में क्यूँ इस मायुसी के छौर से गुज़रा है वो..
तुम तो सचमुच मर ही जाते ए-दीप
कुछ इस कदर मौत के मंजर से गुजरा है वो..
ए-दीप तु कातिल है इक मासूम के अरमानों का
देख तेरे कारण मौत के मंजर से गुज़रा है वो.!!
~कुलदीप सभ्रवाल
मेरे प्यारे साथियों कभी-कभी इंसान के जीवन में ऐसा वक्त आता हैं जब इन्सान को दर्द और तकलीफें उसे अंदर तक झकझोर देती हैं। यह कविता उसी न सहन होने वाले दर्द की दास्तान को बयाँ क्र रही है जिसमें इंसान बाहरी तोर पर तो हंसता-खेलता नजर आता है मगर भीतर से वह बिल्कुल टूट चुका होता है। यह भावनाओ से होने वाला दुःख,दर्द और संघर्ष की कहानी है जो हर किसी के लिए समझ पाना आसान नहीं होता।
नोट:-
प्यारे दोस्तों और भी बेह्तरीन-बेह्तरीन हिंदी,हरियाणवी,तथा अन्य भाषओं में प्रेरक,सामाजिक,प्रेम,एकतरफा प्यार और ब्रेकअप,जीवन शैली आदि पर लिखी गई,काव्य,कविता (न जाने किस दर्द से गुज़रा है वो | Very Sad and Emotional Love Poetry in Hindi) और आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी साईट पर आपका स्वागत है अगर आपको पढ़ने के बाद कोई पोस्ट अच्छी लगे तो प्लीज पोस्ट को शेयर और कमेंट करके हमे जरुर बताए हमारी साईट पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद…
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“N Jane Kis Dard Se Gujara Hai Vo
Koyi Aur Hota To Shayad Mar Hi Jata
Kuchh Is Kadar Maut Ke Manjar Se Guzra Hai Vo”
Very Sad and Emotional Love Poetry | किस दर्द से गुज़रा है
N Jane Kis Dard Se Gujara Hai Vo
Koyi Aur Hota To Shayad Mar Hi Jata
Kuchh Is Kadar Maut Ke Manjar Se Guzra Hai Vo..
Jamane Bhar Ki Pareshaniyo Ko Samete Baitha Tha Vo
Phir Bhi Kisi Ko Takalif Diye Bagair Apane Hi Andar Ke
Kabhi Na Thamne Vale Shaur Se Guzra Hai Vo..
Kya-Kya Bate Chitt Masum Mein Chalati Rahi Hogi
Bahar Se Hansna,Bhitar Se To Pal-Pal Mar Rahi Hoga
Bhala Kaun Samjhe Kitne Kathin Daur Se Guzra Hai Vo..
Tadaf-Tadaf Kar Rooh Usaki Royi To Hogi
Aankhe Band Thi,Magar Do Pal Bhi Chain Se Na Soyi Hogi
Shayad Aise Hi Halachal Bhre Maahaul Se Guzra Hai Vo..
Tufaan To Man Me Umada Hoga
Khuda Se Jyada Khud Ko Baar-Baar Kosa To Hoga
Dukho Ke Samandar Ghnaghor Se Guzra Hai Vo..
Kismat Mein Kante Hi Kante Bichhaye Gye The Usake
Khushiyon Ke Badal Phiza Se Kahkar Hataye Gye The Usake
Phir Bhi Pyari Si Muskaan Lekar Bade Hi Taur Se Guzra Hai Vo..
Har Kisi Ne Galtai Usakee Batalayi Hogi
Kuchh Vakt Parchhayi Bhi Apani Lagee Parayi To Hogi
Dekho Kaise-Kaise Andhero Ke Banabhaur Se Guzara Hai Vo..
Baraso Se Dil Mein Umeed Ka Deep Jalaye Baitha Tha Vo
Ik Ajanabi Ki Bato Mein Aakar Ke Khud Ko Katvaye Baitha Tha Vo
Ab Aise Mein Kyoon Is Mayusi Ke Chor Se Guzara Hai Vo..
Tum To Sachmuch Mar Hi Jaate E-Deep
Kuchh Is Kadar Maut Ke Manjar Se Gujara Hai Vo..
E-Deep Kaatil Hai Tu Ik Maasoom Ke Aramano Ka
Dekh Tere Karan Maut Ke Manjar Se Guzra Hai Vo.!!
Write By:-Kuldeep Samberwal
“तडफ़-तडफ़ कर रूह उसकी रोई तो होगी
आँखें बंद थी,मगर दो पल भी चैन से ना सोई होगी
शायद ऐसे ही हलचल भरे माहौल से गुज़रा है वो”
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