अंधेरा हटाना चाहता हूँ मैं इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ | Motivational Poetry in Hindi Andhera Hatana Chahta Hoon:- यह कविता एक ऐसे व्यक्ति के जीवन के उस कठिन समय के बारे बता रही है जहां वह अपने बीते हुए वक्त के दुखो के अंधेरों से बाहर निकलकर एक नए सवेरे की ओर कदम बढ़ाना चाहता है। जिंदगी के हर संघर्ष और तकलीफ के बाद खुशियों का एक नया सवेरा आता है जो हमें नई उम्मीद और नई दिशा दिखाने का काम करता है। यह कविता उन्ही सब भावनाओं को व्यक्त करती है जब हम अपने अंदर के अंधकार को पीछे छोड़कर एक बेहतरीन भविष्य की ओर बढ़ने का निश्चय कर लेते हैं।
प्यारे दोस्तों साहस से भरी यह बेहतरीन कविता जीवन के अंधेरों से बाहर निकलकर एक नए सवेरे की ओर बढ़ने की प्रेरणा दे रही है। इसमें जीवन के संघर्षों के बीच सकारात्मकता और आशा की एक नई किरण का बेहद ही सुंदर संदेश छिपा हुआ है जो हर इंसान के दिल को छू जाने का काम कर रहा है और इस अनमोल जीवन में निरंतर आगे बड़ने के लिए हमें धेर्य रखने को कह रहा है।
“अंधेरा हटाना चाहता हूँ मैं इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
पंछियों कि चहचहाहट सुनने के लिए
खुद को अब वक्त से उठाना चाहता हूँ”
आइये प्यारे दोस्तों अब इस हिंदी की बेहतरीन कविता “अंधेरा हटाना चाहता हूँ ” को पढ़ते है
अंधेरा हटाना चाहता हूँ-Motivational Poetry in Hindi Andhera
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
पंछियों कि चहचहाहट सुनने के लिए
खुद को अब वक्त से उठाना चाहता हूँ…
दिन भी निकलेगा दौर भी आयेगा
तु ना आया तो कोई और न आयेगा
मैं अब तुझको भुलाना चाहता हूँ..
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
देखो चलना तो पडेगा संभलना तो पडेगा
गिर-गिर के ही सही मगर निकलना तो पडेगा
मैं फिर से एक सफ़र शुरू करना चाहता हूँ..
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
यारों थकना-थकाना बहुत है हुआ
दुसरों को समझाना बहुत है हुआ
मैं इस थकने वाली तबीयत से अब छुटकारा चाहता हूँ..
इन अंधेरों को हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
मस्ती करने लगा हूँ
इन फिज़ाओं मे घुली फूलों की खुशबू के साथ
अकेले आये थे जमीं पर तो क्यूँ हम ढूंढे किसी का साथ
बस इक मरतबा इस अकेले पन का मजा लेना चाहता हूँ..
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
मुझको देख डगर पर लोग आने लगे हैं
कुछ दौडते हैं तेज तो कुछ हाथ-पाँव हिलाने लगे
बस इस कदर कुछ पेश करना चाहता हूँ..
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
नशे करने लगे तो यार-दोस्त लाखों बनेंगे
अगर छोड़ा नशा तो यही तुम्हें दुश्मनों में खडे मिलेंगे
मैं तो बस ऐसे कातिलों से खुद को बचाना चाहता हूँ..
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
उफ ये गरीबी जान लेकर ही मानेगी
ऊपर से बिमारी मुझे शायद फाँसी पर टांगेंगी
बस ऐसे हालातों से निपटने लिए ज़रा सा पढ़ना चाहता हूँ..
अंधेरा हटाना चाहता हूँ इक नया सवेरा लाना चाहता हूँ
पंछियों कि चहचहाहट सुनने के लिए
खुद को अब वक्त से जगाना चाहता हूँ.!!
~कुलदीप संभ्रवाल
“नशे करने लगे तो यार-दोस्त लाखों बनेंगे
अगर छोड़ा नशा तो यही तुम्हें दुश्मनों में खडे मिलेंगे
मैं तो बस ऐसे कातिलों से खुद को बचाना चाहता हूँ”
जीवन में कई बार ऐसा समय भी आता है जब हम दुःख-दर्दों के घने अंधकार से घिर जाते हैं पर अगर डटकर इन तकलीफों का सामना किया जाये तो फिर एक समय ऐसा भी आता है जब हम उस अंधेरे से बाहर निकलने लगते है और फिर अपनी जिंदगी के सही-गलत फैसले लेने के काबिल हो जाते हैं। यह कविता हमें याद दिलाती है कि चाहे कितना भी घनघोर अंधेरा क्यों न हो एक न एक दिन हँसता-खेलता नया सवेरा जरूर आता है। बस हमारे अंदर उन दुखो को दूर करने का साहस होना चाहिए और कहते भी की हर अंत के बाद एक नई शुरुआत होती है और यह कविता उसी सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है।
Note:-
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Motivational Poetry Andhera Hatana Chahta Hoon
Andhera Hatana Chahta Hoon Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Panchhiyo Ki Chahchahat Sunne Ke Liye Khud Ko Ab
Vakt Se Uthana Chahta Hoon…
Din Bhi Nikalega Daur Bhi Aayega
Tu Na Aaya To Koi Aur N Aayega
Main Ab Tujhako Bhulana Chahta Hoon..
Andhera Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Dekho Chlana Padega Sambhalna Padega
Gir-Gir Ke H Sahi Magar Nikalna Padega
Main Phir Se Ek Safar Shuroo Karna Chahta Hoon..
Andhera Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Yaaro Thakna-Thakana Bahut Hai Hua
Dusaro Ko Samjhana Bahut Hai Hua
Main Is Thakne Vale Tabiyat Se Ab Chhutakara Chahta Hoon..
In Andhero Ko Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Masti Karne Lga Hoon In Phizaon Me Ghule Fulon Ki Khushboo Ke Saath
Akele Aaye The Jameen Par To Kyoo Ham Dhundhe Kisee Ka Saath
Bas Ik Martaba Is Akele Pan Ka Maja Lena Chahta Hoon..
Andhera Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Mujhko Dekh Dgar Par Log Aane Lge Hain
Kuchh Dodte Hain Tej To Kuchh Hath-Paav Hilane Lge
Bas Is Kadar Kuchh Pesh Karna Chahta Hoon..
Andhera Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Nashe Karne Lge To Yaar-Dost Lakho Banenge
Agar Chhoda Nasha To Yahee Tumhe Dushmno Mein Khde Milenge
Main To Bas Aise Katilo Se Khud Ko Bachana Chahta Hoon..
Andhera Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Uf Ye Garibi Jaan Lekar Hee Manegi
Upar Se Bimari Mujhe Shayad Fansi Par Tangngi
Bas Aise Halato Se Nipatne Liye Zara Sa Padhna Chahta Hoon..
Andhera Hatana Chahta Hoon Main Ik Nya Savera Lana Chahta Hoon
Panchhiyo Ki Chahchahat Sunne Ke Liye Khud Ko Ab Vakt Se Uthana Chahta Hoon…!!
Write By:~Kuldeep Samberwal
“Din Bhi Nikalega Daur Bhi Aayega
Tu Na Aaya To Koi Aur N Aayega
Main Ab Tujhako Bhulana Chahta Hoon”
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