Crazy Shayari Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga-बेहद खामोश रहती है वो

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Attitude Shayari Dukhon Ka Samandar

Shayari Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga-बेहद खामोश रहती है वो:-दोस्तों यह हिंदी कविता एक ऐसी ओरत की कहानी बताने की कोसिस कर रही है, जिसने जिंदगी में बहुत से दुख और तकलीफें हर मोड़ पर देखी हैं। उसकी जो खामोशी है वो उसकी आँखों में दिखते आंसुओ से बयाँ हो रही है और उसकी जो भावनाएं है वह इस बात की गवाही देती हैं कि उसने अपने जीवन में कितनी कठिनाइयाँ झेली है। यह कविता उसी दर्द और पीड़ा को व्यक्त करती है जो शब्दों से नही बल्कि आँखों और खामोशी से बयां होता दिखाई दे राह है।

आइये प्यारे दोस्तों अब इस हिंदी की बेहतरीन कविता “बेहद खामोश रहती है वो ” को पढ़ते है

“बात-बात पर आँखें छलका देती है वो
लगता है उसने मौत का मंजर देखा होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा”

दुखों का समंदर देखा होगा-Best Hindi Shayari & Poems

बेहद खामोश रहती है वो
शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

बात-बात पर आँखें छलका देती है वो
लगता है उसने मौत का मंजर देखा होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

ख्वाहिशों का गला घोंट दिया गया हो जैसे उम्र-ए-नादानी में,
दर्द भरा खंजर किसी ने दिल में तो घोपा होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

लगी रहती है अब वो जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश में
मगर उसने खुद को न जाने कितनी दफ़ा खुशियाँ मनाने से रोका होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

मर-मर के जिये तो कैसे जिये सब कहते है यहां
मगर मरने से भी उसे किसी फरिस्ते ने तो रोका होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

ए-कुदरत लादो तबाही तुम इस जहां में
इक पल में उसने हजारों दफ़ा ये सोचा होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

अब मत ले इम्तिहान इतने ए-जादुगर
इस दरिया दिल इंसान के,
कहीं ये टूट न जाये तेरे इस गुलिस्तान में,
अंदर ही अंदर अपने आपको ऐसा उसने बोला तो होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

ए-दीप कर दुआ तु अपने खुदा से
लगता है ऐसे शायद उसके खुदा ने
वक्त बुरा आने पर उसे दिया तो धोखा होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा..

~कुलदीप सभ्रवाल

इस दुःख से भरी हिंदी रचना के अंत में खामोशी और आँसू दोनों ही एक व्यक्ति की अंदर पीड़ा को दर्शा रहे हैं। उसका दर्द इतना ज्यादा है कि शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उसकी आँखें और खामोशी ही उसकी गमो की कहानी बयान करती हैं। यह कविता हमें उस दर्द और संघर्ष को समझने का प्रयास कराती है जो किसी के चेहरे पर खामोशी बनकर दिखने लगता है लेकिन उसके अंदर उठते तूफानों का एहसास हमें करा देता है।

नोट:-

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“ख्वाहिशों का गला घोंट दिया गया हो जैसे उम्र-ए-नादानी में,
दर्द भरा खंजर किसी ने दिल में तो घोपा होगा
बेहद खामोश रहती है वो शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा”

Attitude Shayari Dukhon Ka Samandar
Shayari Dukhon Ka Samandar

Attitude Shayari Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga

Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga..

Baat-Baat Par Aankhen Chhalka Deti Hai Vo
Lagta Hai Usane Maut Ka Manjar Dekha Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

Khvahisho Ka Gala Ghont Diya Gya Ho Jaise Umr-E-Nadani Mein
Dard Bhra Khnjar Kisi Ne Dil Mein To Ghopa Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

Lagi Rahti Hai Ab Vo Jindagi Ko Behtar Banane Ki Kosis Mein
Magar Usane Khud Ko Na Jane Kitani Dafa Khushiyan Manane Se Roka Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

Mar-Mar Ke Jiye To Kaise Jiye Sab Kahte Hai Yahan
Magar Marne Se Bhi Use Kisi Fariste Ne To Roka Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

E-Kudarat Laado Tabahi Tum Is Jahan Mein
Ik Pal Mein Usane Hajaro Dafa Ye Socha To Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

Ab Mat Le Imtihan Itne E-Jadugar Is Dariya Dil Insan Ke
Kahen Ye Toot Na Jaye Tere Is Gulistan Mein,
Andar Hi Andar Apane Aapako Aisa Usane Bola To Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

E-Deep Kar Duaa Tu Apane Khuda Se
Lagta Hai Aise Shayad Usake Khuda Ne
Vakt Bura Aane Par Use Diya To Dhokha Hoga
Behad Khamosh Rahti Hai Vo
Shayad Usane Dukhon Ka Samandar Dekha Hoga…

Write by:~Kuldeep Samberwal

“Khvahisho Ka Gala Ghont Diya Gya Ho Jaise Umr-E-Nadani Mein
Dard Bhra Khnjar Kisi Ne Dil Mein To Ghopa Hoga”

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