Love Poetry In Hindi ik Muskurahat तुम्हारी मुस्कुराहट बखुबी पसंद है हमें

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Love Poetry In Hindi ik Muskurahat

Muskurahat Beautiful Love Kavita In Hindi:तुम्हारी मुस्कुराहट बखुबी पसंद है हमें:- जिंदगी में ऐसे कई लोग होते हैं जिनकी सिर्फ एक मुस्कराहट हमें सुकून और खुशी का एहसास करा देती है चाहे हम कितने भी दुखी या परेशान क्यों न हो। दोस्तों कभी-कभी वो एक छोटी सी मुस्कान भी हमारे दिल के करीब आ जाती है और हम उस इंसान से दिल के गहरे रिश्ते का अनुभव करने लग जाते हैं। यह कविता उसी एहसास को शब्दों में बयाँ करने की कोसिस कर रही है जहां प्यार और अपनेपन का गहरा बंधन बनता है।

प्यार की दुनिया में सबसे खास जो चीज होती है वह होती है एक सचे दिल की मुस्कान जो हर किसी के दिल को छू जाए और खुद के मन को भी सुकून दे। प्यार में अक्सर छोटी-छोटी बातें बड़ी होने में वक्त नही लगता है इस ब्लॉग पोस्ट में हम एक प्यार से भरी हिंदी लव कविता “Ik Muskurahat Tumhari” जिसमें प्यार के अनकहे एहसास और प्यार भरे लम्हों को की बात की गई है।

“इक मुस्कुराहट तुम्हारी बखुबी पसंद है हमें
वरना तो इस जग में कोई दुसरा हमारा है नहीं”

आइये प्यारे दोस्तों अब इस हिंदी की बेहतरीन कविता “Muskurahat” को पढ़ते है

तुम्हारी मुस्कुराहट बखुबी पसंद है हमें

दफना दूंगा खुद को किसी कोने मे मैं
तु इक मरतबा अपने लबों से कह कर तो देख..

तुम्हारा यूं गुमसुम रहना हमें गवारा नहीं
गवार जरूर हूँ मैं मगर दर-ब-दर का बंजारा नहीं..

इक मुस्कुराहट तुम्हारी बखुबी पसंद है हमें
वरना तो इस जग में कोई दुसरा हमारा है नहीं..

दरख्तों से सीखा होगा तुमने गैरों पे यूं रहम करना
नहीं तो यहां कोई किसी का बनता सहारा है नहीं…

कोन कहता है हमें डर लगता नहीं
डर तो बेहद लगता है मगर
इन बारिश की बिजूलियों के बिना होता
अब गुजारा है नहीं..

तुझे देखा तो मन में जीने की तलब हजारों हुई
वरना सदियों से मरना चाहा हमनें
मगर किसी ने इतने प्यार से मारा है नहीं..

ए-दीप तु बड़ा बेहरम है
जो तुने कभी किसी मजलूम को दिया सहारा है नहीं…

सिर्फ इक मुस्कुराहट तुम्हारी बखुबी पसंद है हमें
वरना तो इस जग में कोई दुसरा हमारा है नहीं.!!

~कुलदीप सभ्रवाल

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Love Poetry In Hindi Muskurahat
Love Poetry In Hindi Muskurahat

Love Poetry In Hindi ik Muskurahat

Dafna Dunga Khud Ko Kisi Kone Me Main
Tu Ik Maratba Apane Labon Se Kah Kar To Dekh..

Tumhara Yoo Gumasum Rahna Hame Gavara Nhi
Gavaar Jarur Hoon Main Magar Dar-B-Dar Ka Banjara Nhi..

Ik Muskurahat Tumhari Bakhubi Pasand Hai Hame
Varna To Is Jag Mein Koi Dusra Hamara Hai Nhi..

Darkhton Se Sikha Hoga Tumne Gairon Pe Yoon Raham Karna
Nahin To Yahan Koi Kisi Ka Banta Sahara Hai Nhi…

Kon Kahta Hai Hame Dar Lagta Nahi Dar To Behad Lagta Hai
Magar In Barish Kee Bijuliyon Ke Bina Hota Ab
Gujara Hai Nhi..

Tujhe Dekha To Man Mein Jine Ki Talab Hajaro Hui
Varna Sadiyon Se Marna Chaha Hamne
Magar Kisi Ne Itane Pyar Se Mara Hai Nhi..

E-Deep Tu Bada Behram Hai
Jo Tune Kabhi Kisi Majlum Ko Diya Sahara Hai Nhi…

Sirf Ik Muskurahat Tumhari Bakhubi Pasnd Hai Hame
Varna To Is Jag Mein Koi Dusra Hamara Hai Nhi.!!

Write by:~Kuldeep Samberwal

“Darkhton Se Sikha Hoga Tumne Gairon Pe Yoon Raham Karna
Nahin To Yahan Koi Kisi Ka Banta Sahara Hai Nhi”

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