Tumhare Karke Self Love in Hindi Kavita दिल को छू लेने वाली बेहतरीन हिंदी रचना

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Khamosh Self Love

Self Love in Hindi Kavita Tumhare Karke: प्यार के इन अनजान रास्तों में जब कोई अपना छोड़ कर चला जाता है तो उसकी कमी हमें हमेशा ही हमारी जिंदगी के हर मोड़ पर महसूस होती रहती है। हमारी हर बात हर लम्हा उस इंसान की यादों से जुड़ होता है जो कभी हमारे दिल के इतने करीब होता था। यह प्यार भरी कविता “तुम्हारे करके” उन अनकहे एहसासों की दास्तान है जो दिल में तो समाये रहते हैं लेकिन होंठों तक कभी मुस्किल से भी आ पाते है।

प्यार का जो सफर होता है वो जैसा दिखाई देता है वो हमेशा ऐसा नहीं होता है प्यार में ऐसा वक्त भी आता है जब प्यार करने वालों को खामोशियों और तन्हाई की गलियों से भी निकलना पड़ता है। खामोशी से भरे इस प्यार के सफर में दर्द और उसकी यादें ही हमारी सबसे बड़ी दोस्त बन जाती हैं जिनकी वजह से कभी-कभी हम इतने मजबूत बन जाते है की अपने रास्तों को बदल कर मुस्किल से मुस्किल मंजिल को पा जाते है।

“तुम्हारे करके आजकल हम खामोश रहने लगे है
लोग देते है गाली
आखिर क्या करें चुपचाप सहने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम खामोश रहने लगे है”

आइये प्यारे दोस्तों अब इस हिंदी की बेहतरीन कविता “तुम्हारे करके” को पढ़ते है

Silent Love Poetry in Hindi-प्रेम कविता हिंदी में

तुम्हारे करके आजकल हम खामोश रहने लगे है
लोग देते है गाली
आखिर क्या करें चुपचाप सहने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम खामोश रहने लगे है..

हाँ लगता हूँ मैं शक्ल से आवारा,फरेबी
मगर ए-मुस्कान कि शहजादी
मेरे प्यार को फरेबी तुम कभी मत समझना
बस इसी बात को लेकर थोड़ा डरने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम गुमसुम रहने लगे है..

इक मरतबा पहले भी आये थे किसी के छलावे में हम
इसी लिए अब सम्भल-सम्भल कर चलने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम खामोश रहने लगे है..

अक्सर लोग छोड़ जाते है
चंद कागज के टुकड़ों कि खातिर
लगाई है उम्मीद बस तुम नहीं बदलना साथी
ये सोच-सोच कर अब धिरे-धिरे चलने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम खामोश से रहने लगे है..

तुम्हें लगता होगा शायद कि हम बेहद खुश रहते है
हाँ ये सच है
लेकिन कभी दूर होने की सोचना भी मत साथी
क्योंकि हम रोते भी बहुत है
इक तेरे कारण हो गया है हमें इश्क़ जिंदगी से
वरना लोग तो दीप लोहरी की मौत की दुआ
दिन-रात करने लगे है..

बस तुम्हारे करके आजकल हम बदलने लगे है
इस दीप लोहारी को समझाना था बड़ा मुश्किल
जबसे आये हो तुम इसकी जिंदगी में
ये बिगड़ते-बिगड़ते सुधरने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम खामोश रहने लगे है.!!

~कुलदीप सभ्रवाल

“हाँ लगता हूँ मैं शक्ल से आवारा,फरेबी
मगर ए-मुस्कान कि शहजादी
मेरे प्यार को फरेबी तुम कभी मत समझना
बस इसी बात को लेकर थोड़ा डरने लगे है
तुम्हारे करके आजकल हम गुमसुम रहने लगे है”

यह प्रेम कविता ‘तुम्हारे करके आज-कल हम खामोश रहने लगे हैं’ पाठकों के दिलों को छू जाने वाली रचना है दोस्तों। इस सुंदर सी काव्य कविता में प्यार की खामोशी तन्हाई और भावनात्मकता के दर्द को बड़ी खूबसूरती से बयां किया गया है। इस कविता को पढ़ने के बाद आप को अपने जीवन के प्यार भरे पलों की याद तो अवश्य ही आ जाएगी। आप इस कविता को सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते हैं ताकि और लोग भी इस बेहतरीन रचना को पढ़ कर मजा ले सकें।

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Tumhare Karke love in hindi poem

Heart Touching Hindi Poetry Tumhare Karke

Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai
Log Dete Hai Gali Aakhir Kya Kare Chupchap Sahne Lage Hai
Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai..

Ha Lagta Hoon Main Shakl Se Avara,Farebee
Magar E-Muskan Ki Shahjadi
Mere Pyar Ko Farebi Tum Kabhi Mat Samjhna
Bas Isee Baat Ko Lekar Thoda Darne Lage Hai
Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai..

Ik Martaba Pahle Bhi Aaye The Kisi Ke Chhlave Mein Ham
Isi Liye Ab Sambhl-Sambhl Kar Chalne Lage Hai
Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai..

Aksar Log Chhod Jate Hai Chand Kagaj Ke Tukdon Ki Khatir
Lagai Hai Ummid Bas Tum Nhi Badlna Sathi
Ye Soch-Soch Kar Ab Dhire-Dhire Chalne Lage Hai
Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai..

Tumhe Lagta Hoga Shayad Ki Ham Behad Khush Rahte Hai
Haa Ye Sach Hai Lekin Kabhi Door Hone Ki Sochna Bhi Mat Sathi
Kyonki Ham Rote Bhi Bahut Hai
Ik Tere Karan Ho Gya Hai Hme Ishq Jindagi Se
Varna Log To Deep Lohari Kee Maut Kee Dua Din-Raat Karne Lge Hai..
Bas Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai..

Is Deep Ko Samjhana Tha Bda Mushkil
Jabse Aaye Ho Tum Isaki Jindagi Mein
Ye Bigdte-Bigdte Sudhrne Lge Hai
Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai.!!

Write By:~Kuldeep Samberwal

“Ik Martaba Pahle Bhi Aaye The Kisi Ke Chhlave Mein Ham
Isi Liye Ab Sambhl-Sambhl Kar Chalne Lage Hai
Tumhare Karke Aaj-Kal Ham Khamosh Rahne Lage Hai”

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