Now Poem on Besahara Ka Sahara in Hindi | बेसहारा का सहारा

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Besahara Ka Sahara

Now Poem on Besahara Ka Sahara in Hindi | बेसहारा का सहारा :- नमस्कार साथियों हमारी कविता आज उस बेटे के बारे में है जो अपनी माँ की हर बात को एक आज्ञाकारी बेटे कि तरह मानने को तैयार है। बेटा अपनी माँ से कहता है कि अगर माँ तुम मुझे आसमान का सितारा बनने को भी कहोगे तो मैं मर कर भी आपकी ये इच्छा पुरी करने कि हिम्मत रखता हूँ। और अगर तुम कहोगे कि इस इंसान की तुम्हें हर बात को सर आँखों पर रखना है तो भी माँ मैं वो हर ख्वाहिश पुरी करने की कोशिश करूंगा जहाँ तक मुझसे हो सकेगी।

वो बेटा अपनी माँ को समझाते हुए ये भी कहता है कि माँ मुझे किश्मत के ऊपर रोना नहीं आता है, और न ही में इन बातों में विश्वास रखता हूँ, बल्कि मैं तो यूँ ही तेरे कहने से मेरी माँ वो सब करने को तैयार हूँ, जो मुझसे हो सकेगा। वो अपने जज्बातों से अमीर और गरीब लोगों के जीवन यापन मे होने वाले अंतर के बारे में भी अपनी माँ से कुछ कहता है…

“इस धरती प मानस कई डाल के पडे है
कई तो कोठी बंगल्या के सै मालिक
अर कई सडक़ प चादर बिछाये पडे है,
मै तो इन बेघरां का सोपा अर बिसाला बणजूंगा..
जे तु कवै माँ मैं आसमान का सितारा बणजूंगा किसे बेसहारा का सहारा बणजूंगा”

तो आइए मेरे प्यारे पाठकगण अब हम इस माँ-बेटे के प्यार और दुलार से भरे इस प्यारे से वार्तालाप को पढ़ते हैं….

Besahara Ka Sahara
Now Besahara Ka Sahara in Hindi

जे तु कवै माँ बेसहारा का सहारा | Poem on Mother in Hindi

जे तु कवै माँ मैं आसमान का सितारा बणजूंगा
किसे बेसहारा का सहारा बणजूंगा
किश्मत का रोना मनै आंदा ना माँ
मैं तो सिधा-साधा किसे के ख्वाबां का बंजारा बणजूंगा…
जे तु कवै माँ मैं आसमान का सितारा बणजूंगा किसे बेसहारा का सहारा बणजूंगा

इस धरती प मानस कई डाल के पडे है
कई तो कोठी बंगल्या के सै मालिक
अर कई सडक़ प चादर बिछाये पडे है,
मै तो इन बेघरां का सोपा अर बिसाला बणजूंगा..
जे तु कवै माँ मैं आसमान का सितारा बणजूंगा किसे बेसहारा का सहारा बणजूंगा

आदत ना सै मेरी किसे का दिल दुखाण कि
बस हर बार सोचता हूँ सबके काम आन कि
अर फेर भी किसे का दिल टुटा हो तो
उसके लिए यो दीप लोहारी दिल जोड़न आली गारा बणजगा…
जे तु कवै माँ मैं आसमान का सितारा बणजूंगा किसे बेसहारा का सहारा बणजूंगा

फिक्र सै मनैं मेरे इस लोहारी राघो गाम कि
युवा नशे में बरबाद होता जाण है लाग रहया
अर पंचायत ना सै किसे भी काम,
मैं तो इब ऐकला ए नशा मुक्ति का इशारा बणजूंगा…
जे तु कवै माँ मैं आसमान का सितारा बणजूंगा किसे बेसहारा का सहारा बणजूंगा..!

~कुलदीप सभ्रवाल

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Poem on Now Besahara Ka Sahara | जे तु कवै माँ बेसहारा का सहारा

Besahara Ka Sahara
Poem on Besahara Ka Sahara in Hindi

Es Dhrati P Manas Kyi Dhal Ke Pde Hain
Kyi To Kothe Banglya Ke Saih Malik
Ar Kyi Sadak P Chadra Bandhe Pde Hain,
Main To In Begran Ka Sopa Ar Bisala Banajoonga..
Je Tu Kav Maa Main Aasaman Ka Sitara Banajoonga
Kise Besahara Ka Sahaara Banajoonga

Je Tu Kav Maa Main Aasaman Ka Sitara Banajoonga
Kise Besahara Ka Sahaara Banajoonga
Kishmat Ka Rona Mane Aanda Na Maa
Main To Sidha-Shada Kise Ke Khvaban Ka Banjara Banajoonga…
Je Tu Kav Maa Main Aasaman Ka Sitara Banajoonga

Aadat Na Sai Meri Kise Ka Dil Na Dukhan Ki
Ar Bas Har Baar Soche Raha Hoon Sara K Kam Aan Ki
Pher Bhi Kise Ka Dil Toota Ho To Usake Liye
Yo Deep Lohari Dil Jodan Aali Gara Banjaga.
Je Tu Kav Maa Main Aasaman Ka Sitara Banajoonga

Phikr Sai Man Mere Es Lohari Ragho Gaam Ki
Nashe Mein Dhut Hokar Brabad Hote Hai Jan Hai Lag Rahe
Ar Panchayat Na Sai Kise Bhi Kaam Ki
Main To Ib Ekala A Nasha Mukti Ka Ishara Banjoonga…

Je Tu Kav Maa Main Aasaman Ka Sitara Banajoonga Kise Besahara Ka Sahaara Banajoonga.

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