Desh Bhakti Poem in Hindi I love My Hindustan | मेरा प्यारा हिन्दुस्तान

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Desh Bhakti Poem in Hindi Hindustan

मेरा प्यारा हिन्दुस्तान | I love My Hindustan:- आज के समय में जब चारों तरफ़ जाती-धर्म के नाम पर नफरतें दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं और आये दिन कहीं न कहीं इन सब बातों को लेकर कोई न कोई घटना सुनने को मिल ही जाती है जिस कारण लोगों में एकता की भावना लगभग ख़त्म होती दिखाई दे रही है ऐसे में मेरे प्यारे दोस्तों यह कविता हमें अपने देश हिंदुस्तान के प्रति प्यार और अपनी वतनपरस्ती की भावनाओ को बताने में एक अछा जरिया हो सकती है। यह कविता हमें याद दिलाती है कि चाहे हालात कैसे भी हों हमें एकता और शांति बनाए रखने की हर सम्भव कोशिश करते रहना चाहिए।

इस रचना के जरिये हम सबको एक महत्वपूर्ण और मजबूत संदेश देने की कोसिस की जा रही है, ताकि हम अपने इस वतन को हर प्रकार की नफरत से दूर रख सके,सभी को हमेशा ही एकता और शांति का रास्ता ही चुनने के लिए ही कह सके। हम सब मिलकर हमारे हिन्दुतान में एकता और प्यार का माहोल बनाकर पूरी दुनिया के सामने एकता की मिसाल पेस कर सकते है।

“जन्मों-जन्मों से इस वतन से हमारा नाता है
मत मांगों मुझसे सबुत मेरी वतनपरस्ती के
मेरा परूफ तो सिर्फ वो खुदाया और विधाता है
बस यही तुम्हें बताना चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं अपने हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ”

आइये प्यारे दोस्तों अब इस हिंदी की बेहतरीन कविता “मेरा प्यारा हिन्दुस्तान” को पढ़ते है

ये मेरा प्यारा हिन्दुस्तान-Love Poetry in Hindi Hindustan

नफरतों का दौर है
पहले भी बहुत कुछ सहा है
अब और कुछ ना सहना चाहता हूं
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं अपने हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ..

जन्मों-जन्मों से इस वतन से हमारा नाता है
मत मांगों मुझसे सबुत मेरी वतनपरस्ती के
मेरा परूफ तो सिर्फ वो खुदाया और विधाता है
बस यही तुम्हें बताना चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं अपने हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ..

छोटे-छोटे अभी बच्चे है मेरे
जो बनवाये थे कागजात वर्षों पहले
कुछ तुफानो मे झुलसे है तो कुछ कच्चे है मेरे
जो पडे है फटे पुराने वो तुम्हें दिखाना चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं इस हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ..

नफरतों के इस दौर में बस इतना सा कहना चाहता हूँ
ना मैं हिन्दू हूँ, ना ही मैं सिख, ईसाई, मुसलमान हूँ
मैं तो सिर्फ एक इंसान हूँ
और तुमसे भी इंसानियत चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं अपने हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ..

धर्म जात झगड़ों से बटवारे बहुत हो चुके
मेरे इस गुलिस्तां के
अब और किसी को मिले ऐसा कोई बहाना
न ऐसा कोई बहाना चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं इस हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ..

सिर्फ और सिर्फ सुख चैन वाला हिन्दुस्तान चाहता हूँ
विश्व गुरु महान सोने की चिडिय़ाँ कहा जाने वाला हिन्दुस्तान चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं अपने हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ.!!

~कुलदीप संभ्रवाल

“नफरतों के इस दौर में बस इतना सा कहना चाहता हूँ
ना मैं हिन्दू हूँ, ना ही मैं सिख, ईसाई, मुसलमान हूँ
मैं तो सिर्फ एक इंसान हूँ
और तुमसे भी इंसानियत चाहता हूँ
ये हिन्दुस्तान मेरा भी है और मैं इस हिन्दुस्तान में रहना चाहता हूँ”

यह हिंदी रचना हमे अपने देश,वतन के प्रति प्यार और उसकी रक्षा करने के लिए अपने देश प्रेम के साथ-साथ सची वीरता की भावना को बनाये रखने की प्रेरणा दे रही है। हमें यह कभी भी नही भूलना चाहिए कि हम सभी इस देश के सचे और जागरूक नागरिक है हमें हमारे इस प्यारे से गुलिस्तान को नफरतों की हर आग से बचाकर एक सचा और शांति भरा लोकतांत्रिक देश बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करना है। कभी भी इस वतन में जात-धर्म के झगड़ो को पनपने नही देना है।

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Desh Bhakti Kaviat in Hindi Hindustan
Desh Bhakti Poem in Hindi Hindustan

Desh Bhakti Poem in Hindi I love My India

Nafraton ka daur hai
Pahle bhi bahut kuchh saha hai
Ab aur kuchh na sahna chahata hoon
Ye hindustan mera bhi hai aur main apne hindustan mein rahna chahta hoon..

Janmo-janmo se is vatan se hamara nata hai
Mat mangon mujhse sabut mere vatanparsti ke
Mera paroof to sirph vo khudaya aur vidhata hai
Bas yahee tumh batana chahta hoon
Ye hindustan mera bhi hai aur main is hindustan mein rahna chahta hoon..

Chhote-chhote abhi bachche hai mere
Jo banavaye the kagajat varshon pahle
Kuchh tufano me jhulase hai to kuchh kachche hai mere
Jo pade hai fate purane vo tumhen dikhana chahata hoon
Ye hindustan mera bhi hai aur main apne hindustan mein rahna chahta hoon..

Nafaraton ke is daur mein bas itana sa kahna chahata hoon
Na main hindu hoon, na hee main sikh, isai, musalman hoon
Main to sirf ek insaan hoon, aur tumse bhi insaniyat chahata hoon
Ye hindustan mera bhi hai aur main apne hindustan mein rahna chahta hoon..

Dharm jaat jhagdon se batvare bahut ho chukemere is gulistan ke
Ab aur kisi ko mile aisa koi bahana, na aisa koi bahana chahata hoon
Ye hindustan mera bhi hai aur main is hindustan mein rahna chahta hoon..

Sirf aur sirf sukh-chain wala hindustan chahata hoon
Vishv guru mahan sone ki chidiyan kha jane wala hindustan chahata hoon
yY hindustan mera bhi hai aur main apne hindustan mein rahna chahta hoon..

Write by:- Kuldeep Samberwal

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“chhote-chhote abhi bachche hai mere
jo banavaye the kagajat varshon pahle
kuchh tufano me jhulase hai to kuchh kachche hai mere
jo pade hai fate purane vo tumhen dikhana chahata hoon
ye hindustan mera bhi hai aur main is hindustan mein rahna chahta hoon”

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