Hindi Poem on Politics | Politics Poem in Hindi | हिंदी में राजनीति कविता:-नमस्कार दोस्तों आज हम आपको हमारी इस कविता के माध्यम से Politics के बारे में कुछ बताना चाहते हैं जिसमें यह बताया गया है कि नेता कैसे हम पब्लिक का Use करते हैं और उन्हें फिर बाद में बन जाने के बाद पूछते तक नहीं है तथा सत्ता में आने से पहले नेता बहुत बड़े-बड़े वादे करते हैं ।
मगर जब सत्ता में आ जाते हैं तो किसी को पास तक नहीं आने देते सत्ता में आने से पहले हर किसी को अपना कैंडिडेट बताते हैं। मगर जब खुद सत्ता में आ जाते हैं तो कैंडिडेट को जानते और पहचानते तक नहीं है आम पब्लिक का बुरा हाल कर देते हैं जितना भी पैसा आता है खुद के लिए ही Use करते हैं।
हम आपको हमारी इस कविता के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि जो यह Politics नेता होते हैं आम पब्लिक के रिश्ते-नातो को तोड़ में मरोड़ कर रख देते हैं तथा निर्धनता और भुखमरी का आलम पैदा कर देते हैं। मगर जब इलेक्शन का टाइम आता है तो यह हर टाइम आम पब्लिक में आ जाते हैं मगर जब सत्ता में आ जाते हैं तो 5 साल में एक दिन भी पब्लिक या किसी कैंडिडेट के पास मिलने तक नहीं आते।
कुछ इस तरह ही नेताओं ने धर्म-जात के नाम पर झगड़ा करवा दिए हैं तथा एक दूसरे के बीच में इतना जातिवाद और धार्मिक उत्पाद मचा दिया है कि उससे ऊपर उठाना बिल्कुल ही मुश्किल होता जा रहा है किसी को दो वक्त की रोटी तक नहीं मिलती और खुद यह बड़ी-बड़ी गाड़ियों में रहते हैं तथा कभी अपने क्षेत्र में क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है इनको बिल्कुल भी फिक्र नहीं होती सिर्फ और सिर्फ अपने ही निजी कामों में लगे रहते हैं।
पब्लिक के किसी भी काम को करवाने के लिए उनके पास दिन-ब-दिन चक्कर काटने पड़ते हैं तब भी काम नहीं होता है न जाने कितनी एप्लीकेशन देनी पड़ती है फिर भी यह बड़ी मुश्किल से काम को करते हैं या नहीं उसका कोई पता नहीं चलता खुद के बच्चों को विदेशों में पढ़ने भेजते हैं और हमारे बच्चों को आपस में जात-धर्म के नाम पर लड़वाते हैं तथा उनकी शिक्षा के बारे में रोजगार के बारे में कोई बात तक नहीं करते सबका क्या हाल हो चुका है उनको नहीं देखते।
आज-कल के नेताओं को देखते हुए और आज जो हमारे समाज में दिन ब दिन धर्म-जात के नाम पर एक-दूसरे के साथ धोखा छलावा हो रहा है उसे एक हिंदी कविता के माध्यम से कुछ बताने के कोसिस की तो आइए देखते है यह काव्य को…
Politics Best Poem in Hindi | हिंदी में राजनीति कविता
नोट:-
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धन्यवाद
मिलती नहीं किसी को यहां दो वक्त की रोटी
मगर इन जालिमों ने कई पुश्तों का जोड रखा है..
कमबख़्त इस राजनीति ने सबको तोड रखा है
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