Best Poem on Shikaar Ho Gya in Hindi | आजादी के बाद फिर एक आदमी :- हमारा प्यारा देश भारत आजादी के बाद आगे तो बढ़ने लगा है,लेकिन जाति और धर्म का जो गन्दा खेल पहले खेला जाता था वो आज भी हमारे समाज में जो का त्यों बना हुआ है।
इन मुदो पर समय के साथ कोई भी अच्छा साबित होने वाला और इसे जड़ से ख़त्म कर देने वाले कोई कठोर कानून नहीं बनाये गए बल्कि ये वक्त के साथ जाति और धर्म ये मुद्दे दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है। आज भी बहुत से लोग धर्म के नाम पर भेदभाव का शिकार होते हैं, तथा समाज में बराबरी का हक़ पाने के लिए दिन-रात संघर्ष कर रहे है।
हमारे इस देश में इंसानियत से ऊपर जात-पात और धर्म को रखने की यह परंपरा हमारे देश को बाटती जा रही जगह-जगह दंगे-फसाद की जड़ बनती जा रही है जो देश की एकता-अखंडता को एक दिन चूर-चूर कर देगी। कई बार यह देखा गया है कि योग्य और मेहनती व्यक्ति भी सिर्फ अपनी जाती या धर्म की वजह से पीछे रह जाता है। जब एक आदमी जाती-धर्म का शिकार होता है, तो उसके साथ केवल उसके सपने नहीं टूटते, बल्कि समाज की एकता और विकास की भी नींव हिल जाती है।
“मनाता रहा में उम्र भर राखी का त्यौहार हिन्दुस्तान का हिन्दू बनकर
और मेरी आँखों के सामने एक मुस्लिम बहन का बलत्कार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया”
Shikaar Ho Gaya in Hindi कविता के माध्यम से हमने आपको उस घटना को आपके सामने प्रस्तुत करने की कोसिस कि है …
आजादी के बाद फिर एक आदमी (Shikaar Ho Gya in Hindi )
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
मनाता रहा में उम्र भर राखी का त्यौहार हिन्दुस्तान का हिन्दू बनकर
और मेरी आँखों के सामने एक मुस्लिम बहन का बलत्कार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
बेहद मुश्किल होता जा रहा है हकुमत के खिलाफ आवाज उठाना
जबसे हर सवाल करने वाला गद्दार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
दिखने लगा है हर शख्स में अपराधी
जबसे ये मुजरिम सरकार का हकदार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
पलडा हो गया है हल्का सभी गरीबों का
जबसे ये साहुकार समाज का ठेकेदार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
लगने लगी है बोली हर इंसान कि
और देखने की बात है कैसे ये युवा इतना बेरोजगार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
ए-दीप लोहारी वाले सोचने की बात है
कैसे ये त्राहि-त्राहि का समाचार हो गया
आजादी के बाद फिर एक आदमी जाती-धर्म का शिकार हो गया..
छोटी-छोटी कविता लिखकर दीप कलमकार हो गया.!!
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Poem on Hindi Shikaar Ho Gya | आजादी के बाद फिर एक आदमी
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya..
Manata Rha Mein Umr Bhr Rakhi Ka Tohar Hindustan Ka Hindu Bnkar
Aur Meri Aakhon Ke Samne Ek Muslim Bhan Ka Balatkar Ho Gya
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya..
Behd Mushkil Hota Ja Rha Hai Hakumat Ke Khilaph Aavaj Uthana
Jabse Har Saval Karne Vala Gaddar Ho Gya
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya…
Dikhne Lga Hai Har Shakhs Mein Aparadhi
Jabse Ye Mujarim Sarakar Ka Hkadar Ho Gya
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya..
Palda Ho Gya Hai Halka Sabhi Garibon Ka
Jabse Ye Shahukar Samaaj Ka Thekedar Ho Gya
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya..
Lagane Lage Hai Boli Har Insan Ki
Aur Dekhne Ki Baat Hai Kaise Ye Yuva Itana Berojagar Ho Gya
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya..
A-Deep Lohari Vale Sochne Ki Bat Hai
Kaise Ye Trahi-Trahi Ka Samachar Ho Gya
Aajadi Ke Bad Phir Ek Aadami Jaati-Dharm Ka Shikaar Ho Gya..
Chhoti-Chhoti Kavita Likhkar Deep Kalmakar Ho Gya.!!
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