Hindi Poetry on Sharaft Gujra Hua Kal Ki Kahani | शराफत जिंदगी जैसे गुजरा हुआ कल हो गई है:-हमारी इस भागदोढ़ वाली दुनिया में जहां कभी इंसानियत और शराफ़त का बोलबाला हुआ करता था, आज वही अच्छाई और नेकी कहीं गुम सी होती जा रही है। जीवन की सच्चाइयों के बीच संघर्ष, दर्द और इस मारकाट से भरे दोर ने इंसानियत को पीछे छोड़ दिया है। यह कविता उन्हीं जज़्बातों को बताने की एक छोटी सी कोशिस कर रही है।
दुनिया में नफ़रत और मोहब्बत के दुश्मनों ने जहां-जहां भी अपने बुरे कर्मो से आग लगाई है , वहीं-वहीं दिल को सकून देने का एहसास भी कभी न कभी हो ही जाता है लेकिन ये सकून सिर्फ़ बाहरी तोर पर दिखने वाला ही होता है । दिलों के अंदर जब मन मोटव पैदा होने लगता है तो फी इस लगने वाली आग को कोई शांत नहीं कर सकता है ।
जीवन इतना महंगा हो गया है कि लोगों की सोच बदलने लगी है। लोग लाशों के ढेर पर बैठकर सोचते हैं कि क्या ये यही दुनिया है जहां कभी इंसानियत दिखाई देती थी। अब हैवानियत हर जगह है,और ऐसा सोचकर लगता है कि शराफ़त बस एक पुरानी याद है।
“लहू लुहान हो रही है तबीयत अब सबकी
पता नहीं ऐसे हैवानियत के दौर में
इस तबीयत कि दवा कहां गुम हो गई है”
तो आइये दोस्तों पढ़ते हैं इस बेहद ही सुन्दर से हिन्दी काव्य को…
शराफत जिंदगी जैसे गुजरा हुआ कल-Hindi Poetry on Life Gujra Hua Kal
Note:-
अब इंसानियत नाम का अर्थ ही लोगो ने बदल कर रख दिया है । आज, मार-काट और हिंसा जो ये दोर चल पड़ा है। जिन लोगों को कभी भगवान के बंदे कहते थे, वे अब कहीं खो गए हैं और सब पाखंडी पन का जो प्रदर्शन कर रहे है उस पाखंड ने भगवान के अस्तित्व को भी झुठलादिया । अब शराफ़त जीवन की सच्चाई नहीं रही; यह एक अतीत बन गया है, जिसे याद करके दिल दुखी होता है।
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Hindi Poetry on Sharaft Gujra Hua Kal Ki Kahani
Sharaphat Jindagi Jaise Gujra Hua Kal Ho Gayi Hai
Usane Jis-Jis Jhopadi Ko Chhua Tha
Vo To Aaj Mahal Ho Gayi Hai..
Mohabbat Ke Dushmano Se Bhari Hai Ye Duniya
In Dushmano Ne Jahan-Jahan Aag Lagai
Vo Vhan-Vhan Shetal Jal Ho Gayi Hai
Aisa Lagta Hai Jaise
Sharaphat Jindagi Gujra Hua Kal Ho Gayi Hai..
Lahoo Luhan Ho Rahi Hai Tabiyat Ab Sabki
Pta Nhi Aise Haivaniyat Ke Daur Mein
Is Tabiyat Ki Dva Kahan Gum Ho Gayi Hai
Aisa Lagta Hai Jaise
Sharaphat Jindagi Gujra Hua Kal Ho Gayi Hai..
Lashon Ke Dher Par Baithne Lga Hoon
Haa Aaj-Kal Main Kuchh Jyada Hi Sochne Lga Hoon
Kyoon Ye Jindagi Itani Sasti Ho Gayi Hai
Pata Nhi Kyoon Lagta Hai Aise
Sharaphat Jindagi Jaise Gujra Hua Kal Ho Gayi Hai..
Insan-Insan-Insan Shayad Suna -Suna Sa Naam Hai
Maro,Mar Do,Mar Diya,Ab Bas Yahi Rah Gya Kaam Hai
N Jane Vo Bhgavan Ke Bandon Ki Nasl Kahan Gum Ho Gayi
Abto Bas Aisa Lagta Hai Jaise Vo
Sharaphat Jindagi Gujra Hua Kal Ho Gayi Hai.!!
Write by:- Kuldeep Samberwal
“Mohabbat Ke Dushmano Se Bhari Hai Ye Duniya
In Dushmano Ne Jahan-Jahan Aag Lagai
Vo Vhan-Vhan Shetal Jal Ho Gayi Hai”
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