Love And Life Poetry in Hindi Jindagi Kee Kitaab | Sardi Ki Sheet Hava

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Jindagi Kee Kitaab

Jindagi Kee Kitaab | Sardi Ki Sheet Hava | Love And Life Poetry in Hindi :- ज़िंदगी की किताब कभी खुशियों से भरी होती है तो कभी दर्द और उदासी के रंगों से सजी हुई लगने लगती है। हर पन्ने पर एक अलग ही कहानी होती है लेकिन जब यह कहानियां मायूस करने लग जाती हैं तो हर पन्नों की स्याही फीकी पड़ने लगती है तो ज़िंदगी का सफर गुमनाम सा लगने लगता है। यह कविता एक ऐसे दिल की आवाज़ है जो अपनी किताब-ए-जिंदगी के बेजान हो जाने का दर्द बयां कर रहा है।

यह कविता हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं लेकिन हमें अपने अंदर उम्मीद और जज़्बा बनाए रखना चाहिए। ज़िंदगी की किताब गुमनाम जरूर लग सकती है मगर उसमें लिखी हर कहानी हमारे संघर्ष और साहस का हर किसी को परिचय देती रहती है।

“हर बार लिखता हूँ हर रोज लिखता हूँ
एक-एक पन्ने पर दिल से लहू निचोड लिखता हूँ”

प्यारे दोस्तों पढ़ते है इस बेहतरीन हिंदी कविता को “जिंदगी की किताब” जो जीवन के हर पहलु को बयाँ कर रही है

Life Poetry in Hindi Jindagi Kee Kitaab

जिंदगी की किताब अब गुमनाम सी लगने लगी है
न जाने क्यूँ हर पन्ने की सिहाई
धिरे-धिरे करके अब उड़ने लगी है..

हर बार लिखता हूँ हर रोज लिखता हूँ
एक-एक पन्ने पर दिल से लहू निचोड लिखता हूँ
मगर फिर क्यूं ये बेजान लगने लगी है..
किताब-ए-जिंदगी अब गुमनाम सी लगने लगी है

लोग आते ऐसे जैसे मैयित पे आये हो
देख-देख कर ऐसे उतरे हुए चेहरे सब के
अब ये मुझे शमशान सी लगने लगी है..
किताब-ए-जिंदगी अब गुमनाम सी लगने लगी है

हर दिन को कल से बेहतर होगा समझ के जिता हूँ
ए-दीप मैं तो मेरे हिसाब से जिता हूँ
लेकिन समझ नहीं आता
क्यूँ ये मुझे इतना परेशान करने लगी है..
किताब-ए-जिंदगी अब गुमनाम सी लगने लगी है.!

यह बेहतरीन हिंदी कविता ज़िंदगी पर लिखी गई उस किताब को दर्शाती है जहाँ मायूसी और दर्द ने उसके हर पन्ने की स्याही को समय के हर पल ने फीका कर दिया है। उम्मीद संघर्ष और उदासी से भरी इस भावुक कविता को पढ़ें और ज़िंदगी के गहरे अर्थों को खुद ही महसूस करें।

Jindagi Kee Kitaab | Sardi Ki Sheet Hava
Love Poetry in Hindi Sardi Ki Sheet Hava

ए-सर्दी कि शीत हवा निपटा दे मुझे
उन पर मरना चाहता हूं मरने की दुआ दे मुझे..

उनके बगैर जीना भी कोई जीना है
चल हौसला कर और उनसे मिला दे मुझे..

ख्व़ाब कब्र से निकलते हुए के आते है
बस इक पल उनकी कब्र में ही सुला दे मुझे..

दरकिनार कर तु अपने सब उसूलों को
उधेड़बुन छोड़ हिम सा जमा दे मुझे..

घायल कर दिया है तुने मेरे सब जज्बातों को
अब थपकियों से अपनी थोड़ी तो दवा दे मुझे..

कमबख्त ये जमाना-ए-दस्तुर सही नहीं है
इसिलिए यहाँ से उठा उनके जमाने में पहुंचा दे मुझे,,

कर्ज तेरा रहेगा उम्र भर हम पर ए-सर्द हवा
अपने पहलू में रखे इस दीप सा जलना सीखा दे मुझे..

ए-सर्दी कि शीत हवा निपटा दे मुझे
उन पर मरना चाहता हूं मरने की दुआ दे मुझे.!

~कुलदीप सभ्रवाल

इस हिंदी कविता में दिल की गहराईयों से निकली वह आवाज़ है जो प्रेम में अधूरी चाहत और भावनाओं की बर्फीली सर्दी को बयान करती है। यह शीतल हवाओं, ख्वाबों, और दिल के टूटे टुकड़ों के बीच एक ऐसी प्रार्थना है जो प्रेमी के करीब जाने की आखरी इच्छा को बता रही है।

यह कविता हमें सिखाती है कि प्यार एक ऐसी भावना है जो हर मुश्किल को सहकर भी अपनी जगह दुसरे के दिल में बनाती है। यह बेहतरीन हिंदी रचना हमे प्यार में मिलने वाले दर्द का अहसास कराती है कि प्रेम को समझना और उसे निभाना कितना मुस्किल और कठिन काम है।

“लोग आते ऐसे जैसे मैयित पे आये हो
देख-देख कर ऐसे उतरे हुए चेहरे सब के
अब ये मुझे शमशान सी लगने लगी है”

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Jindagi Kee Kitaab Ab Gumnam Si Lagne Lagi Hai
N Jane Kyoon Har Pnne Ki Sihayi Dhire-Dhire Karke Ab Udane Lagi Hai..

Har Baar Likhta Hoon Har Roj Likhta Hoon
Ek-Ek Pnne Par Dil Se Lahu Nichod Likhta Hoon
Magar Phir Kyoo Ye Bejan Lagne Lagi Hai..
Kitaab-E- Jindagi Kee Kitaab Ab Gumnam Si Lagne Lagi Hai

Log Aate Aise Jaise Maiyit Pe Aaye Ho
Dekh-Dekh Kar Aise Utre Huye Chehre Sab Ke Ab
Ye Mujhe Shamshan Si Lagne Lagi Hai..
Kitaab-E- Jindagi Kee Kitaab Ab Gumnam Si Lagne Lagi Hai

Har Din Ko Kal Se Behtar Hoga Samajh Ke Jita Hoon
E-Deep Main To Mere Hisab Se Jita Hoon
Lekin Samajh Nahin Aata Kyoon Ye Mujhe Itna Pareshan Karne Lagi Hai..
Kitaab-E- Jindagi Kee Kitaab Ab Gumnam Si Lagne Lagi Hai.!

Sardi Ki Sheet Hava Love poetry in Hinglish

E-Sardi Ki Sheet Hava Nipta De Mujhe
Un Par Maana Chahata Hoon Marne Ki Duaa De Mujhe..

Unake Bagair Jina Bhi Koi Jina Hai
Chal Hosala Kar Aur Unse Mila De Mujhe..

Khwab Kabar Se Niklate Huye Ke Aate Hai
Bas Ik Pal Unaki Kabar Mein Hi Sula De Mujhe..

Darkinar Kar Tu Apne Sab Usoolo Ko
Udhedabun Chhod Ab Him Sa Jma De Mujhe..

Ghyal Kar Diya Hai Tune Mere Sab Jajbato Ko
Ab Thapkiyon Se Apane Thodi To Dva De Mujhe..

Kambkht Ye Jamana-E-Dstur Sahi Nahi Hai
Isilie Yahan Se Utha Unake Jamane Mein Pahucha De Mujhe,,

Karj Tera Rahega Umr Bhar Ham Par
E-Sard Hva Apane Pahloo Mein Rakhe Is Deep Sa Jalna Sikha De Mujhe..

E-Sardi Ki Sheet Hava Nipta De Mujhe
Un Par Marna Chahata Hoon Marne Ki Dua De Mujhe.!!

Write by:Kuldeep Samberwal

“ख्व़ाब कब्र से निकलते हुए के आते है
बस इक पल उनकी कब्र में ही सुला दे मुझे”

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